सोमवार, 7 मार्च 2016

जय ततैया लाल की

 जय ततैया लाल की
भारत भूषण अरोरा
खोदी  सर आज जब क्लास में आए तो उनकी नाक किसी ततैयां के काटने के कारण सूजी हुई थी। बच्चे उनको देखकर खिलखिला कर हस पडे इस पर खोदी सर ने उनको डांट लगाते हुए कहा एक प्राचार्य का ऐसा मजाक बनाना भारतीय संस्कृति व अभिव्यक्ति की आजादी  का अपमान है।बच्चे उनकी यह बात सुनकर सहम गये। खोदी सर ने अपना प्रवचन चालू रखते हुूए कहा तुम्हे पता नहीं दिल्ली के एक विदेशी संस्कृति वाले स्कूल में बहुत सारे मच्छर पैदा हो गये थे
रात को जब मैं सो रहा था तो उसी स्कूल के कुछ मच्छर मेरे कमरे मैं भिनभिना कर मेरी नींद खराब कर रहे थे। मेरे गृहसंतरी से रहा नहीं गया उन्होने मच्छरों को मारने के बजाए जेल में डाल दिया। जेल से आते ही ये मच्छर ततैयां के अवतार में बदल गया। आज सुबह देशसेवा के काम में लगा ही था कि इसी ततैयां ने आकर मेरी नाक पर काट खाया तभी से अपने जख्मों को सहला रहा हूं।
एक बच्चे ने सोचा प्राचार्य भक्ति दिखाने का यही मौका है उसने कहा सर मैं उसकी जीभ काट लाउंगा, दूसरे ने कहा सर मै उसका सिर आपके चरणों में लाकर रख दूंगा। बच्चों के मुख से प्रचार्यभक्ति की बात सुनकर खोदी सर मंद मंद मुस्करा करने सोचने लगे यही है सच्ची देशभक्ति पर बोले कुछ नही। क्लास का तनाव हल्का होते ही बच्चों ने कहा सर अब तो हस दीजिए प्लीज अब हमें पढाना शुरू कीजिए।
 खोदी सर का मूड ठीक हुआ तो उन्होने कहा बडे होकर तुम कालाधन कमाना चाहोगे या सफेदधन? बच्चों ने कहा सर इनमें से कोई भी नहीं केवल संतोषधन कमाना चाहेंगे। खोदी सर ने दूसरा सवाल दागते हुए कहा बच्चों बडे होकर राजनीति करोगे या धर्मकर्म? बच्चों ने कहा सर दोनों का काकटेल बनाकर पी जाऐंगे उपर से धार्मिक होंगे अन्दर से घाघ राजनीतिज्ञ। खोदी सर ने फिर पूछा मां की बात माननी चाहिए या बाप की? बच्चों ने कहा सर बाप की वही तो रोटी कमाकर खिलाता है। मां का क्या वो तो खुद ही हमारे राजा बाप की गुलाम होती है राजा ही भगवान का अवतार होता है। बच्चों के उत्तर सुनकर खोदी सर का सीना गर्व से फूलने लगा उन्होने फिर पूछा ये बताओ तुम्हे विकास चाहिए या विनाश? बच्चों ने एक स्वर में कहा विकास। खोदी सर ने फिर पूछा विकास की गाडी में रूकावट कौन पैदा कर रहा है? बच्चों ने कहा सर, सवा सौ करोड देशवासियों में से बीस-पचीस करोड बुन्दु हैं जो रहते तो हमारे तालाब में है परन्तु पानी पडौसी दुश्मनों के तालाब में पीने जाते है। खोदी सर ने कहा तुम्हारे बाकी सारे उत्तर सही थे पर ये उत्तर समझने में सही है लेकिन बोलने में गलत समझे कुछ। बच्चों ने कहा यस सर।
खोदी सर ने फिर पूछा बच्चों तुम्हे शिक्षा सस्ती चाहिए या महंगी? बच्चों ने कहा सर महंगी, क्योंकि सस्ते स्कूलों में तो मच्छर पैदा होते हैं जो पूर देश में मलेरिया फैला सकते हैं महंगे स्कूल अच्छे होते है जहां मच्छर नहीं बल्कि मकडियां पैदा होती जो अपने जाल में फंसाकर सारे मच्छरों को जकड कर मार डालती हैं। ना सस्ते स्कूल होंगे ना मच्छर पैदा होंगे, ना रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी। खोदी सर बच्चों के उत्तर सुनकर अतिउत्साहित होते हुए बोले तुम्हे आजादी चाहिए या गुलामी? बच्चों ने कहा सर, दोनों। खोदी सर ने कहा अपना मंतव्य स्पष्ट करो, बच्चों ने कहा सर, जो मच्छरवाद से आजादी, जो बुन्दुवाद से आजादी, जो पंजावाद से आजादी, जो गंजावाद से आजादी। हम भी मकडवाद की गुलामी।
खोदी सर अब क्लास में अपनी पूरी लय में आ गये थे सोचा ऐसे देशभक्त बच्चे ही आगे चलकर देश की कमान संभालेंगे तो देश पर दोबारा से अंग्रेजों का राज नहीं हो सकता। उन्होने बच्चों में उग्र देशभक्ति का जज्बा परखने के लिए आखिरी सवाल पूछते हुए कहा कि आतंकवाद की परिभाषा बताते हुए एक सुंदर सा छंद सुनाओ। बच्चों ने एक स्वर में कहा
 माना कि हर बुन्दु, आतंकी नहीं होता।
पर हर आतंकी, बुन्दु ही क्यों होता है।।
खोदी सर बच्चों का देशभक्ति से भरा यह छंद सुनकर गदगद हो गये वो बच्चों को मूहमांगा ईनाम और आर्शीवाद देकर जाने वाले ही थे कि जिस ततैयें ने कल रात उनकी नाक पर काटा था वह फिर से क्लास में प्रकट हो गया। ततैयें को देखकर खोदी सर ने कहा मारो मारो कहीं मेरे साथ तुम्हे भी डंक न मार दे। ततैयेें ने कहा मुझे मारो मत बस मेरी गुनगुन अपने कान में सुन लो। खोदी सर ने कहा ठीक है काटना मत सुनाओ ततैयां ने कहा
माना कि हर संघी,  बुन्दुओं से नफरत नहीं करता
पर हर बुन्दु से नफरत करने वाला संघी ही क्यों होता है।।

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