रविवार, 22 नवंबर 2015

पाला तो तय करना ही पडेगाा


 पूरा देष दो पालों में बंटता हुआ दिखाई दे रहा है। लेखकों,वैज्ञानिकों,इतिहासकारों,षिक्षकों,व पत्रकारों से लेकर आम आदमी तक सब के सब मोदी विरोधी और मोदी समर्थक खेमें में बंट चुके है । ऐसा सोचना आज अतिष्योक्ति भले ही लगती है लेकिन कल  यह बात खरी उतर सकती है ।
अनुपम खेर ने  सडक पर उतरकर जिस तरह की खेमेबंदी कर पदक लौटाने वालों को गरियाते हुए मोदी विरोधी करार देने और तमाम टीवी चैनलों पर चलने वाली बहसें और उनके एंकर व मालिकों की राजनीतिक संबद्वता से यह बात आसानी से समझी जा सकती है । मोदी की चुप्पी और हमलावर भाशण भी इसी ओर इषारा कर रहे है। मानो वे खुद चाहते है कि पूरा देष उनके समर्थक और विरोध में बंट जाए । यहां तक की खुद भाजपा को भी इन्ही दो पालों में बांट चुके है ।
 जिस दिन  मा ेदी सरकार ने  षपथ ग्रहण की थी उसी दिन मैने अपने एक लेख में कहा था कि आजादी के बाद देष में पहली बार कोई वैचारिक स रकार का गठन हो रहा है  और मोदी उसका जबरन  नेतृत्व कर रहे है इसलिए भाजपा एक दिन पृश्ठभूमि में चली जाएगी । मोदी की सरकार की एकबारगी अनदेखी की जा सकती है परन्तु मोदी की अनदेखी उसके विरोधी भी नहीं कर पाएंगे । कांग्रेस मध्यमार्गी विचार धारा की पार्टी कहलाना पसंद करती थी क्योंकि वह अपने साथ सभी धाराओं को ल ेकर चलने का दावा करती थी । उसकी विदेषनीति भी गुटनिरपेक्षता वाली ही रही इसलिए वह कभी षाहबानों पर  मुसलमानों के सामने घुटने टेकती है तो कभी हिन्दुवादी पार्टियों की बात मानकर बाबरी मस्जिद का ताला ख्ुालवाती है।  जबकि मध्यममार्ग कोई मार्ग नही होता सडक के बीचोंबीच आप गाडी नहीं चला सकते आपको दाएं या बाएं ही चलना पडेगा । केन्द्र में अगर वैचारिक पार्टी की सरकार है तो वैचारिक विपक्ष ही उसका मुकाबला कर पाएगा । अवैचारिक लोगों के बस की  बात नहीं  िक वे  मोदी का मुकाबला कर लें ।
बुद्विजीवी स्तर पर मोदी समर्थक और विरोध की पालेबंदी धरातल पर नजर आने लगी है लेकिन आम जनता के स्तर पर अभी यह प्रक्रिया में हैं । मोदी समर्थक नहीं चाहते कि आम जनता के स्तर भी दो पाले अभी जल्दी से बन जाएं  इसलिए विवादित मामलों पर चुप्पी साधे रहते है और बाकी मामलों पर बोलने में पद की गरिमा का भी ख्याल नहीं रखते । जिस दिन आम जनता के स्तर पर मोदी समर्थन या विरोधी की पालेबंदी रफतार पकड लेगी उसी दिन आम जनता भी वैचारिक रहनुमा की तलाष कर लेगी जो मोदी को आर्थिक नीतियों पर बहस करने के लिए मजबूर कर देगा । आज एक बात और बडी मजबूती के साथ कह देना चाहता हूं कि  रिटेल में सौ प्रतिषत एफ डी आई की अनुमति ही देष की आम जनता को मोदी के समर्थक और विरोधी में बांट देगाी । सबको अपना पाला तय करना ही पडेगा ।

     भारत भूशण

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