शुक्रवार, 24 जून 2016

धार्मिक प्राथनाओं को बदलने की जरूरत?

धार्मिक प्राथनाओं को बदलने की जरूरत?
भारत भूषण अरोरा
सभी धर्म गुरूओं द्वारा हमें यह पढाया जाता है कि लालच बुरी बला है तथा गुनाहों की सजा एक दिन जरूर मिलती है। वहीं दूसरी ओर यह भी कहा जाता है किसी विशेष अवसर पर स्नान, इबादत, पूजा और अरदास करने पर पाप माफ हो जाते है।  जब हमारे गुनाह माफ ही नहीं होने तो फिर हमें गुनाहों की माफी का लालच क्यों दिया जाता है? इनकी अपनी ही प्राथनाओं में यह विरोधाभास क्यों है। विशेष और बडे धार्मिक समारोह में होने वाली भगदड और सैकडों लोगो के मरने की घटनाएं शायद इसी वजह से होती हैं कि विशेष समय और विशेष स्थान पर स्नान या इबादत करने से गुनाह माफ होने की गारंटी दी गयी होती है और इस गारंटी का हर कोई फायदा उठाना चाहता है चाहे कितना ही कष्ट उठाना पडे या जान तक चली जाए।
एक सच्ची घटना से आपको रूबरू कराना चाहूंगा एक व्यक्ति ने एक धर्म स्थान पर जाकर दस रूपये दान दिये तो बदले में धर्मगुरू ने प्रार्थना पढी कि इन्होने अपनी नेक कमाई में से दस रूपये उपर वाले की राह में दान किये है उपर वाला इनकी नेक कमाई में इजाफा करे। मैने धर्मगुरू को कहा कि इसमें एक लाइन और जोड दीजिए कि मेरी बद कमाई को उपर वाला हर हाल में नाश कर दे और किये गये गुनाहों को कतई माफ न करे। इतना सुनते ही धर्मगुरू पसीना पसीना हो गये और कोई जवाब नहीं दिया उस जवाब का आज तक इंतजार कर रहा हूं।
अगर आपके सामने  क और ख नामक दोे व्यक्ति प्रार्थना कर रहे हो जिनमें  क  अपने गुनाहों की माफी के साथ धन धान्य और परिवार की सलामती की मांग कर रहा हो तथा आइंदा कोई गुनाह न करने का वचन तो क्या आश्वासन भी न दे रहा हो।  ख  अपने किये की सजा मांग रहा हो और भविष्य में कोई गुनाह न करने का वचन भी दे रहा हो साथ ही बद कमाई के विनाश की मांग कर रहा हो तो इसमें किस व्यक्ति को सच्चा धार्मिक आदमी कहेंगे? निश्चित ही ख को महान कहेंगे। अगर आप ख के पक्ष में हैं तो क्या अब सच्चे इंसान बनने के लिए वक्त नहीं आ गया है कि हम अपने अपने धर्मगुरूओं पर बद कमाई के विनाश करने और गुनाहों की सजा देने की बात को प्रार्थना में जोडने के लिए जनमत बनाकर  दबाव बनाएं यदि ऐसा हो गया तो निश्चित तौर पर इंसानियत की राह में यह बडी सेवा होगी।

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