बुधवार, 14 दिसंबर 2016

सोच की बात

सोच की बात
उनके पास शिकायतें ही शिकायतें हैं। कोई दूर करे भी कैसे एक दूर होती नहीं कि दूसरी पैदा हो जाती है। दोष स्थितियों का नहीं है। नजरिये में समस्या है।नजरिया सही हो तो प्रतिकूल से प्रतिकूल स्थितियां भी आपको हताश नहीं कर सकतीं बल्कि यह जीने के मकसद को बनाए रखती है। अब्राहम लिंकन एक बात अक्सर कहते थे. हम शिकायत कर सकते हैं कि गुलाब के फूल में कांटे हैं और हम खुश भी हो सकते हैं कि कांटों में फूल है। ज्यादातर सफल लोगों के पास एक शानदार नजरिया होता हैए लेकिन ऐसे लोगों में वारेन बफेट तो बेमिसाल हैं। वह ज्यों.ज्यों पैसे कमाते गए उनका जिंदगी के प्रति नजरिया और निखरता गया। आज वह कहते हैं.  यूं तो अमीर होने में कोई खासी परेशानी नहीं है। ऐसा भी नहीं है कि मैं इन कागज के टुकड़ों को खुद पर खर्च नहीं कर सकता। अगर मैं चाहूं तो सिर्फ 10 हजार लोग सुबह.शाम अपनी तस्वीरें खिंचवाने के लिए रख सकता हूंए लेकिन इससे किसी का भला नहीं होगा।ष् यह उनका कमाल का नजरिया है जो यह संदेश देता है कि अगर एक बच्चा सोच लेए तो चुइंगम बेचने के रास्ते से होता हुआ दुनिया का सबसे अमीर शख्स बन सकता है और अगर वही व्यक्ति चाहेए तो वह अपनी सारी कमाई एक क्षण में दान कर सकता है।आज नजरिये की कीमत काफी ज्यादा आंकी जा रही है। नौकरी देने से पहले यह देखा जा रहा कि हमारा मेंटल फ्रेम वर्क क्या है जानकारी पर विचार को तरजीह दी जा रही। पहनावा.ओढ़ावा केंद्र में नहीं है। अब केंद्र में है तो एटीट्यूड। शिकायतें करने वाला नहीं उसे दूर करने में जुटने वाला माइंससेट।

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