रविवार, 18 दिसंबर 2016

जीवन सचमुच विचित्र है

हमारा जीवन घट और चलनी जैसा होता है। इसमें श्रेष्ठताओं की पूर्णता है, तो बुराइयों के अनगिनत छिद्र भी। समंदर-सा गहरापन भी है। सब कुछ अनुकूल-प्रतिकूल अनुभवों को समेट लेने की क्षमता है, तो सहने का अभाव होने से बहुत जल्द प्रकट होने वाला छिछलापन भी है। तूफानों से लड़कर मंजिल तक पहुंचने का आत्मविश्वास है, तो तूफान के डर से नाव की लंगर खोलने जितना साहस भी नहीं है। ऐसे ही लोगों के लिए फ्रेडरिक लैंगब्रिज ने कहा कि दो व्यक्तियों ने एक ही सलाखों से बाहर झांका, एक को कीचड़ दिखाई देता है, तो दूसरे को तारे दिखाई देते हैं।’
जीवन सचमुच विचित्र है। कभी हम जिंदगी जीते हैं, तो कभी उसे ढोते हैं। कभी हम दुख में भी सुख ढूंढ़ लाते हैं, तो कभी प्राप्त सुख को भी दुख मान बैठते हैं। कभी अतीत और भविष्य से बंधकर वर्तमान को निर्माण की बुनियाद बनाते हैं, तो कभी अतीत और भविष्य में खोये रहकर वर्तमान को भी गंवा देते हैं। एडवर्ड बी बटलर ने उत्साह का संचार करते हुए कहा है कि एक व्यक्ति 30 मिनट के लिए उत्साही होता है, दूसरा 30 दिनों के लिए, लेकिन ऐसा व्यक्ति, जो कि 30 वर्षों तक उत्साही रहता है, उसे ही जीवन में सफलता प्राप्त होती है।’ कुछ लोगों का जीवन ऐसा होता है, जिसमें गंभीरता का पूर्ण अभाव होता है। वे बड़ी बातों को सामान्य समझकर उस पर चिंतन-मनन नहीं करते, तो कभी छोटी-सी बात पर प्याज के छिलके उतारने बैठ जाते हैं। इसीलिए एचएम टॉमलिसन ने कहा कि दुनिया वैसी ही है, जैसे हम इसके बारे में सोचते हैं। अपने विचारों को बदल सकें, तो हम दुनिया को बदल सकते हैं।

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