शुक्रवार, 16 दिसंबर 2016

कठिनाइयों के खिलाफ

कठिनाइयों के खिलाफ
उनकी नींद उड़ी हुई थी। वह चिड़चिड़े हो गए थे। समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें दरअसल उनके आगे एक कठिनाई आ गई थी और वह उस परेशानी के अधीनस्थ थे। ब्रिटिश राजनेता व लेखक बेंजामिन डिजरायली कहते थे कि कठिनाई जितनी बड़ी होए उनके आगे मौन साधना सीखो। हड़बड़ाओ मतए शांत हो जाओ। इतने भर से तुम आधी लड़ाई जीत जाओगे। डिजरायली ने यह भी कहा कि किसी कठिनाई की सबसे अहम रणनीति यही होती है कि हम बौखला जाएं और वह अपनी स्थिति अधिक मजबूत कर ले।

यह सच है कि हम कठिनाइयों के आगे अक्सर बौखला जाते हैं। यह बौखलाहट हमारी सोचने.समझने की क्षमता कम कर देती है और हम गलत निर्णय ले लेते हैं। कठिनाइयां लाखों हैंए पर इनसे निकलने के उपाय भी कम नहीं। किसी भी कठिनाई को दूर करने का कर्म तभी सधता हैए जब मस्तिष्क को शांत रखा जाए। काम से भागें नहींए पर मस्तिष्क को विराम देना भी मत भूलें। जब हालात के आगे लड़खड़ाने की स्थिति आएए तो सहजता के साथ खुद को विराम दिया जाना चाहिए।

रवींद्रनाथ टैगोर जब परेशान होते थेए तो प्रकृति के बीच चले जाते। वृक्षों और पहाड़ों के बीच। उनका यह तरीका काफी शानदार था। हम भी इस तरीके को अपनाते हैं पर थोड़ा भिन्न तरीके से। हम साल में एक बार हिल स्टेशन या समुद्र किनारे छुट्टियां मनाने जाते हैं मगर आज के दौर में इतना ही काफी नहीं। हमें मस्तिष्क को रोजाना शांत करने का तरीका सीखना होगा। सक्सेस इज अ स्टेट ऑफ माइंड के लेखक का कहना है कि अगर आपका दिमाग शांत और स्थिर नहीं तो समझिए कि अच्छे अवसर आपके हाथ नहीं आने वाले। आपको बुरे हालात से सामना करना है और सफलता की सीढ़ियां चढ़नी है तो भावनात्मक रूप से भी मजबूत रहना होगा। शांत रहकर बुरे हालात से छुटकारा पाना होगा

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