शुक्रवार, 16 दिसंबर 2016

रंग.बिरंगी आशा

रंग.बिरंगी आशा
एक खूबसूरत शेर है. नाउम्मीदी मौत से कहती है अपना काम करध् आस कहती है ठहर खत का जवाब आने को है। हमारे जीवन में जैसी भी स्थितियां आएं सबसे बड़ा सच यही रहता है कि उम्मीद जीवन भर हमारा साथ नहीं छोड़ती। हमारा दैनिक जीवन जितना भी बेरंग होए उम्मीद हमेशा रंग.बिरंगी होती है। एक बार स्वामी विवेकानंद ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि कभी भी उम्मीद को न छोड़ए क्योंकि इस संसार में कोई भी यह नहीं बता सकता कि आने वाला कल उसके लिए क्या लाने वाला है अक्सर यह ऐसी चीज लेकर आता है जिसका हम इंतजार कर रहे होते हैं।
नाउम्मीदी का मतलब है हाथ पर हाथ धरकर बैठ जानाए जबकि उम्मीद एक मानसिक.शारीरिक सक्रियता का नाम है। 17वीं सदी के कवि.नाटककार जोसेफ एडीसन ने इसे जीवन की बुनियादी चीज कहा। जोसेफ ने कहा कि जीवन के लिए तीन चीजें जरूरी हैं. एकए कुछ करने के लिए होना दूसरी कुछ प्रेम करने के लिए होना और तीसरीए कुछ उम्मीद करने के लिए होना। आधुनिक तत्व ज्ञानियों ने भी मानना है कि विचार से अधिक विश्वास में शक्ति होती है और जिस चीज का हमें विश्वास हो उसकी हम उम्मीद करते हैं। डेल कारनेगी कहते हैं कि यथास्थितिवाद बहुत से लोगों का स्वभाव बन जाता है। वे अभाव से छुटकारा पाने का प्रयत्न ही नहीं करते। ऐसा स्वभाव धीरे.धीरे शरीर का अंग बन जाता है और उस छोड़ना कठिन हो जाता है। वे कहते हैं कि नाउम्मीदी सबसे पहले साहस और सामथ्र्य को कम करती है और फिर हमारा व्यक्तित्व आशंकित बना डालती है। मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने कहा कि आदमी जंग लगने के लिए पैदा नहीं हुआ। उसे उसकी क्रियाशीलता बनाए रखती है और उम्मीद व सपने उसे वह सब देते हैं जिसके लिए वह दुनिया में आया। यकीनन हमें हर हाल में उम्मीद का दामन थामे रहना चाहिए ऐसे जैसे वह हमारी सांसें हों।

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