बुधवार, 21 दिसंबर 2016

नोटबंदी का विरोध

नोटबंदी का विरोध करनेवालों के नवविरोध के कारण

जब भी कभी जनता में सरकार, सरकारी अदाओं और कुकर्मों के खि‍लाफ आक्रोश उभरने लगता है, कई तरह की राजनीति‍क शक्‍ति‍यां काम करने लगती हैं। नोटबंदी जब फेल हो गई तो सरकार इसे कैशलेस में बदलने की अदाएं दि‍खाने लगी। चूंकि देश में अभी भी करोड़ों लोग नि‍रक्षर हैं, करोड़ों के पास मोबाइल नहीं है और कई करोड़ लोगों के पास अगर मोबाइल है भी, तो उन्‍हें कि‍सी का नंबर मि‍लाने के लि‍ए भी कि‍सी साक्षर की मदद चाहि‍ए होती है, ऐसी हालत में देश में कैशलेस इकॉनमी बनाने की कि‍सी भी कवायद की हवा नि‍कलनी लाजमी थी, सो वह भी नि‍कल ही गई। इस वक्‍त देश के जो हालात हैं, वह साफ बयान कर रहे हैं कि जनता सरकार के सीधे वि‍रोध में आ चुकी है। ऐसे वक्‍त में सरकार ने कुछ ऐसी ही डमी खड़ी की है जो वि‍रोध को लपककर इसे फि‍र से केंद्र सरकार की उन्‍हीं सारी बेवकूफि‍यों की तरफ दोबारा मोड़ देना चाहते हैं, जि‍सके लि‍ए यह सरकार कुख्‍यात है और पहले भी कुख्‍यात रही है। बाबा रामदेव ने नोटबंदी या कैशलेस के वि‍रोध में जो भी बयानात जारी कि‍ए हैं, वि‍रोध करनेवालों को उसके पीछे की साजि‍श जाननी जरूरी है।

असम में हाथि‍यों की हत्‍या के गुनहगार, देश में मि‍लावटी सामान सबसे शुद्ध कहकर बेचने वाले और अपने आड़े ति‍रछे आसनों पर लोगों की मॉर्निंग लाइफ में पलीता लगाने वाले बाबा रामदेव की असलि‍यत कि‍सी से भी नहीं छुपी। फि‍र चाहे वह सलवार कुर्ता पहनकर वि‍रोध के मंच से रातोंरात फरार हो जाने की अदा रही हो या फि‍र नोटबंदी के समर्थन में योग शि‍वि‍रों में योग की जगह भाषण पि‍लाने की, बाबा जी लगभग सभी जगह झूठ का खुला खेल फर्रुखाबादी खेलने के आदी रहे हैं। अभी भी वो जो बोल रहे हैं, मेरा मानना है कि ये वो नहीं जो बोल रहे हैं, बल्‍कि उनसे यह सब बुलवाया जा रहा है। यह सब उनसे बोलवाकर जो व्‍यापक वि‍रोध शुरू हो चुका है, और जो एकदम सही और तर्कसम्‍मत है, उसे वापस समर्थन में बदलवाने और तर्कों की तरफ से चीजों को अतार्किकता की तरफ ले जाने की साजि‍श रची गई है, जि‍से हम सबको समझना होगा।

अब जब नोटबंदी के बाद सरकार अपनी चोंचबंदी की तरफ बढ़ रही है, तो उसे इस तरह की कुछ बोलि‍यों की सख्‍त जरूरत है जो उसके न बोलने पर भी बोला करें और जो वि‍रोधि‍यों का एक ऐसा अलग खेमा तैयार कर सकें जो आने वाले दि‍नों में वि‍रोध के बहाने सरकार के समर्थन में खड़ा दि‍खाई दे और बोले कि हम भी तो वि‍रोध कर रहे हैं। लेकि‍न लोग समझदार हैं और बाबाजी के आड़े-ति‍रछे झूठों को समझ रहे हैं। इसीलि‍ए जब बाबा का वि‍रोधी बयान आया, सोशल मीडि‍या पर पहली प्रति‍क्रि‍या यही नि‍कली कि बाबाजी फि‍र से साजि‍श करने में लग गए हैं। बाबाजी का जो भी वि‍रोध दि‍ख रहा है, वह उनकी भक्‍ति की ही तरह ढोंग है और उनके पतंजलि उत्‍पादों की ही तरह मि‍लावटी है।
इसी तरह से कुछ लोगों को लगने लगा है कि भक्तगण भी नोटबंदी और कैशलेस जैसे शोशों का विरोध करना शुरू कर चुके हैं। जो लोग पहले नहीं बोलते थे, अब बोलने लगे हैं। जो लोग पहले इसके समर्थन में थे, अब एकाएक इसके विरोध में आ गए हैं। इनमें भी दो तरह के लोग हैं। पहले वह जिनके हाथ एटीएम की लाइन लगने के बाद खाली हैं तो वह नोटबंदी का विरोध करना शुरू कर देते हैं, लेकिन जैसे ही हाथ में नोट आता है, उनकी बोलती बंद हो जाती है। ऐसे लोगों को पहचानना जरूरी है क्योंकि वैचारिक रूप से यह लोग हिले हुए हैं। दूसरे वह लोग जो जानबूझकर विरोध की ऐसी हवा बना रहे हैं, जिससे कि वैचारिक रूप से हिले हुए लोग उनके पीछे आकर लग लें और वह जब चाहें, तब एक बार फिर गलत कदम उठाने वाली सरकार के हर गलत कदम के समर्थन में भीड़ बटोर सकें।

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