शुक्रवार, 16 दिसंबर 2016

सच्चा प्रेमी

सच्चा प्रेमी


प्रेम एक वरदान की तरह है, लेकिन तभी, जब आप सही मायने में प्रेमी हों। सच्चा प्रेमी का मतलब है, जो प्रेम को देय समझे, न कि इसे पाने का पर्याय मान बैठे। दरअसल, प्रेम में देना ही पाना होता है। अमेरिका की मशहूर कवयित्री डोरोथी पार्कर का कहना है कि प्रेमी वही है, जो प्रेम का मर्म समझता है। डोरोथी के मुताबिक, प्रेम हथेली पर रखे पारे की तरह है, मुट्ठी खुली होने पर वह रहता है और भींचने पर निकल जाता है। यह दुनिया उन्हीं की है, जिन्होंने इसे खुली हथेली पर रखा। ज्यादातर लोग इस गफलत में जीवन गुजार देते हैं कि वे प्रेम में डूबे रहे, लेकिन होते हैं वे महज उसके मोहपाश में। वे अपने प्रिय को अपने पास ही रखना चाहते हैं। चाहे जैसे भी हो।
यहां खलील जिब्रान की बात याद आती है- ‘आप किसी से प्रेम करते हैं, तो उसे जाने दें, क्योंकि वह लौटता है, तो आपका है और यदि नहीं आता, तो फिर आपका था ही नहीं।’प्रेम में होना जीवन को उसके भरपूर सौंदर्य से पहचानना है। प्रेमी का मतलब विश्वासी होना है। प्रेमी का उत्कट मूल्य अगर कुछ है, तो वह है स्वतंत्रता। यह अधिकार जताने का उत्कट विरोधी है। ओशो ने प्रेम पर काफी कुछ लिखा है। एक जगह वह लिखते हैं-‘जहां मैं और मेरा शुरू हो जाता है, वहां यह डर आ घेरता है कि कोई और मालिक न हो जाए। इसके बाद तो ईष्र्या शुरू हो गई, भय शुरू हो गया, घबराहट शुरू हो गई, चिंता शुरू हो गई, पहरेदारी शुरू हो गई। और ये सारे मिलकर प्रेम की हत्या कर देते हैं।’ जाहिर है, मैं और मेरा हमें प्रेमी नहीं रहने देते। ये हमें प्रेमहंता बना देते हैं।

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