गुरुवार, 15 दिसंबर 2016

धैर्य यानी ध्यान

धैर्य यानी ध्यान
एनीमल प्लैनेट पर वह एक कार्यक्रम देख रहे थे। देखा कि एक अजगर भूख से परेशान था। पूरे तीन दिनों तक उसने घात लगायाए आखिर एक सूअर आहार बना। अजगर को धैर्य ने बचाया। धैर्य अजगर और बगुले ही नहीं हमारी भी पहचान हैए भले हम इसकी अनदेखी करें। हेनरी एच अर्नोल्ड द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिकी एयर फोर्स के प्रमुख थे। वह कहते थे. कोई भी मुर्गी अंडे से चूजा पाने के लिए उसे तोड़ती नहींए बल्कि उसको सेती है। उन्होंने जो कामयाबी हासिल की उसमें 25 प्रतिशत हाथ प्रयत्न का और 75 प्रतिशत हाथ धैर्य का मानते थे।
आजकल हमारे प्रयत्न की मात्रा तो बढ़ी है मगर उस अनुपात में धैर्य घटता गया। परेशानी कोई भी हो आप उससे केवल इसलिए आसानी से पार पा सकते हैं कि आप हड़बड़ी में नहीं हैं और ठहरकर चीजों पर गौर कर सकते हैं। धैर्य सफलता की गारंटी नहीं देता लेकिन यह गारंटी जरूर देता है कि असफलता से पार पाने के कई आसान रास्ते हैंए जिन पर चलकर आप सौ फीसदी मनचाहा हासिल कर सकते हैं। मनोवैज्ञानिक पीयरे विल्सन इसे ध्यान का ही एक रूप मानते हैं. एक ऐसा ध्यानए जो आपके हर काम में निहित है। यही वह ध्यान हैए जो आपके दिमाग में सुकून भरता है। ऐसा नहीं कि धैर्य के नाम पर आप अपनी मनमानी करने में जुट जाएं। किन हब्बार्ड जो कि अमेरिका के महान पत्रकारों और कार्टूनिस्टों में से एक हैं यह कहते थे कि धैर्य शब्द के साथ बड़ा खिलवाड़ होता है। अक्सर उत्साह की कमी को धैर्य मान लिया जाता है। उत्साहहीनए आलसी लोग धैर्य रखने के नाम पर ही हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं जो गलत है।

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